होशंगाबाद शहर का नाम बदलकर नर्मदापुरम किया जायेगा।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के होशंगाबाद शहर का नाम बदलकर नर्मदापुरम रखने की घोषणा की है।
▪️ मुख्य बिंदु:
• यह घोषणा उनके द्वारा की गई थी जब वह होशंगाबाद में आयोजित नर्मदा जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
• उन्होंने कहा कि, नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
▪️ पृष्ठभूमि :
• होशंगाबाद शहर का नाम एक हमलावर होशंग शाह के नाम पर रखा गया था जो मालवा का पहला शासक था।
• यह जिला नर्वदा (नर्मदा) प्रभाग और बरार का हिस्सा था।
• होशंगाबाद नर्मदा नदी के किनारे सुंदर घाटों के लिए प्रसिद्ध है।
• इसका प्रमुख आकर्षण सेठानी घाट है।
▪️ शहर का नया नाम :
होशंगाबाद का नाम अब नर्मदा नदी के नाम पर नर्मदापुरम रखा जाएगा। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा है। यह नदी पूरे भारत में 5वीं सबसे बड़ी नदी है। इसके मुख पर एक मुहाना भी बनता है। जबलपुर, होशंगाबाद, मंडला, महेश्वर, ओंकारेश्वर नरसिंहपुर और झाबुआ जैसे शहर नर्मदा नदी के तट पर स्थित हैं।
▪️ नर्मदा नदी :
नदी को रेवा नदी के नाम से भी जाना जाता है। पहले इसे नर्बदा के नाम से भी जाना जाता था। यह मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य से बहती है। इस नदी को अक्सर “मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा” कहा जाता है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार से निकलती है। यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक सीमा बनाती है। यह पश्चिम की तरफ बहने वाली नदी है। इस नदी की कुल लंबाई 1,312 किमी है। यह खंभात की खाड़ी के माध्यम से अरब सागर में जाती है।
✅ उत्तर प्रदेश सिंगापुर को ‘काला नमक चावल’ का निर्यात करेगा।
उत्तर प्रदेश 20 टन काला नमक चावल की एक खेप को सिंगापुर में निर्यात करेगा। यह कदम राज्य से कृषि निर्यात के लिए एक प्रमुख बढ़ावा है।
▪️ मुख्य बिंदु:
• 20 टन की खेप सिद्धार्थ नगर से सिंगापुर भेजी जाएगी।
• इस चावल को कांच के जार में पैक किया जा रहा है जिसमें चावल के गुणों का भी उल्लेख है।
• चावल की पैकेजिंग में महात्मा बुद्ध के लोकप्रिय उद्धरण शामिल हैं: “चावल की अनूठी सुगंध लोगों को मेरे बारे में याद दिलाएगी”।
• जल्द ही, राज्य स्ट्राबेरी फेस्टिवल की तर्ज पर काला नमक चावल उत्सव का आयोजन करेगा।
• सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र, वाराणसी के सहयोग से सिद्धार्थ नगर में एक काला नमक चावल अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
• राज्य सरकार ने चावल को सिद्धार्थ नगर का ‘एक जिला एक उत्पाद’ घोषित किया है। जबकि, केंद्र सरकार ने इसे एक बार गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज और संत कबीर नगर के ‘एक जिला एक उत्पाद’ के रूप में घोषित किया है। यह घोषणा चावल के उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग में मदद करेगी।
▪️ काला नमक चावल :
• इस चावल को बुद्ध चावल भी कहा जाता है।
• यह भारत में उगाए जाने वाले सुगंधित चावल की बेहतरीन किस्मों में से एक है।
• चावल को ‘बुद्ध का महाप्रसाद’ भी कहा जाता है।
• मुख्य रूप से देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, गोंडा, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, संत कबीर नगर, बहराइच, श्रावस्ती में इसकी खेती की जाती है।
✅ NHAI ने 100 प्रतिशत कैशलेस टोल कलेक्शन हासिल किया।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर 100 प्रतिशत कैशलेस टोल संग्रह सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।
▪️ मुख्य बिंदु:
• राष्ट्रीय राजमार्गों पर फी प्लाजा के सभी लेन को 16 फरवरी, 2021 से फास्टैग लेन के रूप में घोषित किया गया है।
• 100% प्रतिशत कैशलेस टोलिंग को हाइवे यूजर्स द्वारा सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है।
• जब से फास्टैग मानदंड को अधिसूचित किया गया है, 2,50,000 से अधिक टैग बेचे गए हैं।
• एक ही दिन में, कुल 60 लाख लेनदेन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप FASTag के माध्यम से 95 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हुआ।
• देश में अब तक फास्टैग की कुल पैठ 87 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
• 16 फरवरी से 7 प्रतिशत पैठ में वृद्धि हुई थी।
• सरकार राजमार्ग उपयोगकर्ताओं द्वारा FASTag को अपनाने की सुविधा के लिए एक मुफ्त FASTag की भी सुविधा प्रदान कर रही है। यह मुफ्त अभियान 1 मार्च तक चलेगा।
▪️ FASTag क्या है?
FASTag इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली है, इसका संचालन राष्ट्रीय उच्चमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है। FASTag के द्वारा टोल प्लाजा में रुके बिना ही व्यक्ति के खाते से टोल चार्ज अपने आप कट जायेगा, अब टोल कर अदा करने के लिए गाड़ी रोकने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।
FASTag एक प्रीपेड अकाउंट से जुड़े हुए होते हैं, इसके द्वारा टोल प्लाजा से गुजरते हुए व्यक्ति के खाते से टोल अपने आप ही कट जायेगा। FASTag के लिए रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।
▪️ FASTag की विशेषताएं :
• FASTag को ग्राहक अपनी पसंद के बैंक खाते से लिंक कर सकते हैं।
• इससे ग्राहकों को काफी सुविधा होगी।
• FASTag एप्प की सहायता से किसी भी FASTag को रिचार्ज किया जा सकता है।
• बाद में FASTag का उपयोग पेट्रोल पंप पर इंधन को खरीदने के लिए भी किया जा सकता है।
▪️ रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (RFID) :
रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करती है, यह उन टैग्स को डिटेक्ट करती है जिनमे इलेक्ट्रानिकली सूचना स्टोर की जाती है।
एक द्वि-मार्गीय रेडियो ट्रांसमीटर-रिसीवर टैग के लिए सिग्नल भेजता है तथा उसकी प्रतिक्रिया का अध्ययन करता है। RFID रीडर टैग के लिए एक एनकोडेड रेडियो सिग्नल भेजता है। टैग इस सिग्नल को रिसीव करता है तथा अपनी पहचान के साथ कुछ और सूचना को वापस भेजता है।
▪️ वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) :
यह एक पहल है जिसे एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में शुरू किया गया है ताकि एक जिले की वास्तविक क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जा सके। यह पहल आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रोजगार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दगी। इस पहल का परिचालन ‘डिस्ट्रिक्ट्स एज़ एक्सपोर्ट हब’ पहल के साथ किया गया है। यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
✅ ICGS C-453 इंटरसेप्टर बोट को कमीशन किया गया।
इंडियन कोस्ट गार्ड शिप (ICGS) C-453 को 19 फरवरी, 2021 को चेन्नई में कमीशन किया गया। यह 18 में से 17वीं इंटरसेप्टर नौका हैं, जिसे स्वदेशी तौर पर लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड द्वारा बनाया गया है।
▪️ ICGS C-453 :
• यह एक 80 मीटर लंबी इंटरसेप्टर नाव है।
• इस नाव में 105 टन का विस्थापन क्षमता है।
• यह अधिकतम 45 समुद्री मील (85 किमी प्रति घंटे) की गति प्राप्त कर सकती है।
• यह निगरानी, तटीय गश्ती, खोज और बचाव जैसे कार्यों को करने में सक्षम है।
• यह समुद्र में संकट की स्थिति में नौकाओं को सहायता भी प्रदान करेगी।
• इसमें एडवांस्ड नेविगेशन और संचार उपकरण शामिल हैं।
• यह इंटरसेप्टर बोट चेन्नई में तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के कमांडर के संचालन नियंत्रण में होगी।
▪️ इंटरसेप्टर नाव के कार्य :
तट रक्षक चार्टर के अनुसार विशेष आर्थिक क्षेत्र की निगरानी करने के लिए जहाज को तैनात किया जाएगा। इससे भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
▪️ विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) :
United Nations Convention on the Law of the Sea, 1982 के अनुसार, विशेष आर्थिक क्षेत्र समुद्र में एक क्षेत्र है जिसके लिए एक संप्रभु राष्ट्र अन्वेषण के लिए एक विशेष अधिकार का मालिक है। इसमें बेसलाइन से लेकर किसी भी देश के तट से 200 समुद्री मील (nmi) तक का क्षेत्र शामिल है। इसमें महाद्वीपीय शेल्फ भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इसमें 200 समुद्री मील की सीमा से परे क्षेत्रीय समुद्र या महाद्वीपीय शेल्फ शामिल नहीं है।
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